Saturday, January 28, 2012

बसंत पंचमी


        बसंत पंचमी या वसंत पंचमी,  माघ शुक्ल पंचमी  बुद्धि की देवी सरस्वती के लिए समर्पित है. विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हुए बुद्धि एवं ज्ञान की अभिलाषा की जाती है. इस दिन सरस्वती का जन्म माना जाता है. देवी सरस्वती को वेदों की माँ माना जाता है. 

        देवी सरस्वती शिव और पार्वती की पुत्री है.माँ सरस्वती के चार हाथ , जिसमें एक हाथ में पुस्तक-लेखनी , एक में कमल, एक हाथ में वीणा  और एक हाथ से इसे बजाते हुए बताया जाता है. देवी सरस्वती को श्वेत साड़ी पहने श्वेत कमल  या श्वेत हंस पर बैठे बताया जाता है, जो शांति का प्रतीक है. शारदा , वीणावादिनी आदि  नाम से भी जाना जाता है.

        यह दिन बसंत के आगमन का प्रतीक और बदलाव है. प्रकृति भी इस समय अपने यौवन पर होती है. नव- कोंपल प्रस्फुटित होती है. पेड़ पौधे हरे भरे दिखने लगते है. इस समय प्रकृति ही नहीं बल्कि मानव में जीवन के प्रति उत्साह उमड़ आता है. हरी-भरी धरा पर पीले रंग की पुष्पित सरसों मानव मन में उमंग भर देती है. इस कारण ही माँ सरस्वती की पूजा के लिए पीले वस्त्र पहन कर , पीली मिठाई और पीले फूलों के साथ पूजा की जाती है.

        यह  दिन विद्यार्थियों के लिए शुभ माना जाता है.सम्प्रेषण ,ज्ञान ,कला और सीखने के लिए पूजन का प्रावधान है.  कलम-दवात की पूजा की जाती है. शिक्षा प्रारंभ के लिए इस दिन को शुभ माना जाता है. स्कूल - कॉलेज में इस दिन रंगारंग सांस्कृतिक  कार्यक्रम आयोजित करते हुए माँ सरस्वती की पूजा की जाती है. 

 

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