Thursday, November 17, 2016

लाला लाजपत राय

      पंजाब केशरी के नाम से लोकप्रिय लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी, 1865 धुदिके फिरोजपुर पंजाब में हुआ. माता का नाम गुलाब देवी और पिता का नाम मुंशी राधा कृष्ण आज़ाद. बचपन की शिक्षा रेवाड़ी में हुई. 1880 में लाहोर में कानून अध्ययन के लिए चयनित हुए. यहाँ इनको भारत के गौरवमयी इतिहास जानने का मौका मिला. अपनी माता की सीख और यहाँ की शिक्षा ने इनमें राष्ट्र प्रेम के लिए उत्प्रेरित किया. 1882 में वे स्वामी दयानंद सरस्वती के आर्य समाज की ओर मुड़े जो सामाजिक सेवा एवं सुधार में सक्रीय थी. कानून अध्ययन के बाद उन्होंने हिसार में वकालत प्रारंभ की.


      वे स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलन में अग्रिम पंक्ति के नेता थे. लाल-बाल-पाल के नाम से तीनों अग्रणी नेताओं ने स्वतंत्रता की नई लौ प्रजल्वित की वह भारतीय इतिहास में अक्षुण है. लाला लाजपत राय 1920 के जलियांवाला बाग नरसंहार में अग्रणी नेता थे तो गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन में सक्रीय सहभागी. वे भारतीय कांग्रेस के नेता रहे और अच्छे विचारक तथा लेखक भी. 30 अक्टूबर ,1928 लाहोर में साइमन के साइमन कमीशन के आगमन पर इसके विरोध में रैली के नेतृत्व करने के अवसर पर अंग्रेजों के बर्बर लाठी प्रहार से लाला लाजपत राय घायल हो गए...विषम हालत में उन्होंने सभा में कहा " हर झटका मेरे उद्देश्य से ब्रिटिश साम्राज्यवाद के ताबूत में एक कील है." ... लगातार गिरते स्वस्थ्य के कारण वे 17 नवम्बर ,1928 को स्वर्ग सिधारे.


      वे पंजाब के शेर कहलाते थे. उनके विचार थे " भीख या प्रार्थना कभी स्वतंत्रता नहीं दिला सकती है.तुम केवल संघर्ष और त्याग से ही विजय प्राप्त कर सकते हो."