Friday, February 3, 2012

विश्वकर्मा जयंती

विश्वकर्मा आदि शिल्पाचार्य इस सृष्टि के निर्माता है. भगवान विश्वकर्मा का जन्म माघ शुक्ल त्रयोदशी को हुआ. पौराणिक-वैदिक काल में  भगवान विश्वकर्मा को देवतायों का आचार्य एवं समस्त सिद्धियों का जनक माना जाता है.ऐसा राजा भोज विरचित समरांगन  सूत्रधान में कहा गया है. वृहत पुराण में इन्हें  शिव के अवतार के रूप में माना जाता  है. अथर्व वेद  के उप - वेद अर्थवेद के रचियता अंगीरा है. विश्वकर्मा ने इस शिल्प विद्या को आगे बढाया.
शिल्पकर्म एवं विज्ञान के प्रणेता विश्वकर्मा ,जो अंगीरा एवं बृहस्पति की बहन भुवना के पुत्र है. स्कंध पुराण में कहा गया है - " वृहस्पतेस्तु भगिनी भुवना ब्रह्मावादिनी, प्रभासस्य तुसा भार्या वसु नामर मस्या च . विश्वकर्मा सुतस्तस्य शिल्प करता प्रजापति : ."
" विहदिसु,यग्येसू ,गृहाराम  विधायके . सर्व कर्मसु सं पूज्यों विश्वकर्मा इति श्रुतम " ( वराह पुराण ) के अनुसार सभी शुभ कार्य , अनुष्ठान, यज्ञ  आदि में प्रथमत : विश्वकर्मा का पूजन करने को उल्लेखित किया गया है.
पौराणिक काल में भव्य नगर एवं भवन, विमान, अस्त्र - शस्त्र , आभूषण आदि का निर्माण शिल्पाचार्य  विश्वकर्मा द्वारा ही किया गया.
वर्तमान में विश्वकर्मा वशंज को विश्वकर्मा, सूत्रधार, जांगिड आदि से जाना जाता है जो कर्मठ एवं कर्मशील ब्राह्मण  के प्रतीक है.  
( माह एवं तिथि अनुसार वर्ष २०१२ में श्री विश्वकर्मा जयंती ५ फरवरी को मनाई जाएगी )