Thursday, September 5, 2013

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan : 5 sept / Shikshak Divas


       एक उत्कृष्ट आदर्श शिक्षक, दार्शनिक एवं राजनितिज्ञ डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर ,1888 को तिरुतनि में हुआ.  इनके माता का नाम सितम्मा एवं पिता का नाम वीरास्वामी था।  मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार के इस बालक की प्रारंभिक शिक्षा तिरुतनि तथा बाद में वूरही कॉलेज, वेल्लोर  में अध्ययन किया। फिर मद्रास क्रिस्चियन कॉलेज में बी ए  तथा एम ए किया। मुख्य विषय दर्शन शास्त्र रहा। यहाँ अध्ययन करते हुए राधाकृष्णन ने हिन्दू दर्शन, उपनिषद्,गीता दर्शन, शंकर दर्शन, बौध दर्शन, जैन दर्शन आदि के अतिरिक्त पश्चमी दर्शनों पर महारत हासिल की परन्तु सरल,सहज एवं भारतीय परिवेश इनकी अनूठी पहचान रही । 
          मैसूर विश्वविद्यालय में 1914 में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर के रूप में चयन हुआ। शोध एवं स्वाध्याय करते हुए दर्शन पर कई लेख लिखे और किताबें लिखी। इनकी पहली थी -" रवीन्द्रनाथ टैगोर के दर्शन" . 1920 में "समकालीन दर्शन में धर्म के शासनकाल " , 1923 में " भारतीय दर्शन " का प्रकाशन हुआ जो एवं अतन्त्य महत्व पूर्ण दर्शन शास्त्र की पुस्तक है। 
          सन 1931 में आंध्र विश्व विद्यालय  तथा 1939 में बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय के कुलपति बने और महत्वपूर्व शैक्षिक उपलब्धियां अर्जित की। 1948 में विश्व विद्यालय आयोग के लिए मनोनित किया गया। 1949 में आप को सोवियत संघ के राजदूत नियुक्त किया गया। 1952 में भारत के उप-राष्ट्रपति चुने गए। तत्पश्चात 1962 में " राष्ट्रपति" के पद के लिए चुने गए।  आप की गौरवपूर्ण उपलब्धियां रही परन्तु 1967 में दूसरे कार्यकाल हेतु इन्कार कर दिया।  1954 में आपको "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया। 1956 में आपकी पत्नी शिवाकामुम्मा का आकस्मिक देहांत हो गया।  आपके पांच पुत्रियाँ एवं एक पुत्र थे। 
          अंतिम समय में वे मायलापुर ,चेन्नई में रहे। जहाँ 17 अप्रेल ,1975 में आपका स्वर्गवास हुआ।