भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मोहन दास करमचंद गाँधी का जन्म २ अक्तूबर, १८६९ , पोरबंदर, गुजरात में हुआ. " महात्मा " के नाम से विश्व विख्यात गाँधी जी को भारत "राष्ट्रपिता" के रूप में सम्मान प्रकट करते हुए अभिनन्दन करता है.
आप की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई.मेट्रिक परीक्षा भावनगर में हुई तथा कानून की पढाई के लिए १८ वर्ष की आयु में सितम्बर,१९८८ को इंग्लैंड गए. वहां आप शाकाहारी बने रहे और "शाकाहार समाज " के सदस्य बने.
आपकी शादी १३ वर्ष की आयु में(१८८३) १४ वर्षीय कस्तूरबा माखनजी से हुआ. आपके चार पुत्र हुए.
प्रारंभिक समय में आपने राजकोट में ही वकालात शुरू की. १८९३ में एक भारतीय फर्म के मुकदमे के सन्दर्भ में आप नेटाल , दक्षिण अफ्रीका गए. अफ्रीका में भारतियों के प्रति भेदभाव के विरोध में स्वर उठाया और संघर्ष किया.
१९१५ में आप भारत लौटे. गोपाल कृष्ण गोखले जो स्वतन्त्रता आन्दोलनों में सक्रीय थे, के प्रोत्साहन और सानिध्य में भारतीय राजनैतिक क्षेत्र में सक्रीय हुए.
चंपारण, खेड़ा आदि के आन्दोलनों में आपको सफलता मिली. १९३० में नमक सत्याग्रह में २४८ मील लम्बी यात्रा ( अहमदाबाद से दांडी ) में ८०००० लोगों ने सहयोग दिया. यह संघर्ष अत्यधिक सफल रहा. १९४२ में भारत छोडो आन्दोलन ने विदेशी शासन की नींव हिला दी.
सत्य, अहिंसा, शाकाहार, सादगी, खादी आदि को व्यवहार में ही नहीं बल्कि नए आयाम दिए. गुरु रविन्द्र नाथ ठाकुर ने आपको " महात्मा " कह कर सम्मान प्रकट किया.
३० जनवरी , १९४८ सांय ५.१७ बजे प्रार्थना सभा, बिरला भवन, नई दिल्ली की ओर जाते समय इस महात्मा को नाथूराम गोडसे ने गोली मार कर ह्त्या कर दी. हे राम ! उच्चारण के साथ महात्मा गाँधी शहीद हो गए.
सत्य अहिंसा की ढाल से , भारत ये आजाद हुआ.
हे राम ! तेरे ही देश में , अपनों से बर्बाद हुआ.
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इतने निष्ठुर अंग्रेज भी न थे, संघर्ष किया था वर्षों तक
आजाद भारत ने दी मौत , दिया नहीं जीवन जीने का हक़
@ JANGIDML /20120130