लाल गुलाबी, नीला पीला, रंग हरे से होली खेलो
बिना रसायन बिन पानी ही, शुभकामनाएं दे दो ले लो
*JANGIDML 20120306
पौराणिक कथा के अनुसार दानव राजा हिरण्यकश्यप जिसने पृथ्वी को जीत लिया था, घोषणा कि राज्य में केवल उसे पूजा जाए. उनका बेटा प्रहलाद , भगवान विष्णु का प्रबल भक्त था, ने अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया.
हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए कई तरीके की कोशिश की लेकिन भगवान विष्णु ने उन्हें हर बार बचा लिया. अंत में, वह उसकी बहन, होलिका ( जिसे वरदान था , आग भी उसे जला नहीं सकती थी ) से कहा कि प्रहलाद को साथ लेकर धधकते आग में प्रवेश करे ताकि प्रह्लाद जल कर मिट जाए. होलिका प्रहलाद को लेकर आग की चिता में प्रवेश कराती है. भक्त प्रहलाद भगवान का जप करते हुए सुरक्षित बच गए जबकि होलिका जल कर भस्म हो गई .
उत्तर भारत में विशेष रूप से लकड़ी के अलाव जला जला कर होलिका के पुतले जलाते हैं. होली एक भक्त की विजय के रूप में मनाया जाता है. होली, होलिका नाम प्रर्याय है, बुराई पर अच्छाई की जीत के एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है.
होली का जश्न उत्साहित लोग परस्पर रंगों और अबीर- गुलाल को लगा कर मनाते है तथा घर-घर मिठाईया बनती है.यह त्यौहार हंसी -ख़ुशी का त्यौहार है. परन्तु आज के समय में नकली और रसायन वाले रंगों से नुकशान अधिक होते है तथा पानी का भी अपव्यय होता है. अत: प्राकृतिक रंगों और सावधानी के साथ होली खेलेंगें तो खुशियाँ ही खुशियाँ मिलेगी.
अधिक पढ़ें और जाने : http://www.holifestival.org
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